हेलो दोस्तों, मेरा नाम विकास झा और मैं पटना सहर का रहने वाला ह। मेरी पत्नी ममता यहाँ के कॉलेज में एक टीचर है। मैं अपनी नौकरी और घर परिवार से काफी खुश हु। लेकिन कभी कभी घर में थोड़े मसले चलते रहते है। असल बात यह है की मेरी बीवी मुझे नज़दीक नहीं आने देती। परेशानी यह है की अब वो ढंग से नहीं कर पाती। इस बात से कभी कभी मैं बहुत परेशान हो जाता हु। लेकिन कुछ नहीं कर सकते?
लेकिन अब ज़िंदगी में ख़ुशी आ गयी है। वो ख़ुशी मुझे दी है मेरी बीवी की सहेली दिव्या ने। चलो आगे की कहानी आपको सुनाता हु।
दिव्या की उम्र ३४ हो और वो हमारे घर के पास रहती है। उसके पति दुबई में काम करते है और वो घर में अकेले ही रहती है। दिव्या दिखने में काफी खूबसूरत और लम्बा ऊँचा कद। शरीर काफी भरा हुआ और चूचियां कम से कम ३८ की। दिव्या और मेरी पत्नी बहुत ही अछि दोस्त है। दोनों का एक दूसरे के घर आना जाना लगा रहता है। पहले तो मेरी नज़र दिव्या पर बिलकुल नहीं थी।
लेकिन पिछली दिवाली में उसने लाल रंग की साड़ी और गहरे गले का ब्लाउज वो भी बिना बाजू के देखकर मुझसे रहा नहीं गया। ऐसी सुन्दर औरत मैंने ज़िंदगी में पहले बार देखि। तब से मैं दिव्या के करीब आना चाहता था।
जनवरी का महीना था और मैं ऑफिस जाने की तैयार में था। अचानक वो सुबह सुबह घर पर आयी। दिव्या ने उस दिन पीली रंग की साड़ी और पीछे से गहरे गले का ब्लाउज पहना था। इस तरह से देखकर मुझे तो बहुत ख़ुशी हुई। अब वो सीधे हमारे कमरे में चली गयी। थोड़ी देर ममता और दिव्या दोनों साथ में मेरे पास आये।
ममता ने कहा ”ज़रा यह एड्रेस देखना, समज नहीं आ रहा”
मैंने कहा ”मैं यही जाने वाला हु”
ममता ने दिव्या से कहा ”तू ऐसा कर, इनके साथ चली जा गाडी में”
मैं मैं ही मैं सोच रहा था, चलो कम से कम आज छूने का बहाना तोः मिल ही जाएगा। अब मैं उससे साथ ले भी गया और वापस घर भी ले आया। हमने साथ में खाना भी खाया,,इस बहाने मैंने कही न कही छू लिया और बातें भी कर ली। बातों बातों में मुझे पता चल गया की दिव्या को जोक्स पढ़ने और सुनने की आदत है। अगले दिन से ही मैंने जोक्स भेजना शुरू कर दिया। कभी रिप्लाई आता और कभी नहीं। यह सिलसिला लगभग २ महीने तक चला। अब एक दिन मैंने एक नॉन वेग जोक भेजा। कुछ भी रिप्लाई नहीं आया। ३ दिन बाद मैंने फिरसे एक ऐसी ही चीज़ भेजी। तो उसने हस्ते हुए चेहरा दिखाया। अब धीरे धीरे मैं रोज़ ऐसे ही जोक्स भेजता था। कभी रिप्लाई आता था और कभी नहीं। फिर मैंने अश्लील वीडियो भेजना शुरू कर दिया।
अब एक दिन दिव्या का फ़ोन आया ”विकास जी मुझे न अपनी नयी सीवी बनानी है,,आप बना दो”
मैंने कहा ”ठीक है कल आजाओ, साड़ी डिटेल्स लेकर”
दिव्या ने कहा ”ठीक है, कल मैं दोपहर को आ जाउंगी”
मैंने हस्ते हुए कहा ”फीस देनी पड़ेगी”
दिव्या ने कहा ”क्या फीस और कैसे फीस”
मैंने कहा ”जो है तुम्हारे पास, वो हमे देदेना”
यह सुनते हुए हम दोनों हसने लग गए। अब अगले दिव्या घर पर आयी, उस दिन ममता घर नहीं लौटी थी। उससे कॉलेज में कुछ काम था। मैंने दरवाज़ा खोला तोः वो जल्दी से अंदर आ गयी और पानी माँगा। मैंने तुरंत पानी दिया। देखकर लग रहा था की वो काफी थक गयी थी।
इतने में दिव्या ने कहा ”यह लीजिये फोल्डर, इसमें सब कुछ है, ज़रा अच्छे से बना देना।
मैंने कहा ”हमारी फीस लाओ”
दिव्या ने कहा ”ठीक है बताओ, क्या फीस है आपकी”
मैंने कहा ”यह तुम्हारे लम्बे लम्बे बाल जिसमे से प्यारी सुगंध आ रही है,, इनसे हमारे चेहरे को सेहला दो”
सुनते ही उसने जैसे मैंने कहा था वैसे कर दिया। अब मैंने उसकी चूचियों को पकड़कर अपने पास बुला लिया और वो बिलकुल डर गयी।
मैंने कहा ”मेरी जान ज़रा करीब आकर करो ”
हस्ते हुए दिव्या ने कहा ”अभी जाने दो,,अगले बार आपका सब कुछ सेहला दूंगी ”
मैंने उससे और करीब खींच लिया और उसकी कमर में हाथ डालते हुए कहा ”अब मत जाओ,,,रहा नहीं जाएगा मुझसे ”
मैं तुरंत दिव्या की चूचियों को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा। वो अपने आप को मुझसे दूर कर रही थी, लेकिन मैं उससे अपने आप से दूर नहीं कर पा रहा था। मैंने तुरंत दिव्या की ब्रा खोलदी और इतने में दिव्या ढीली पद गयी। इससे मेरा आगे का काम आसान हो गया। दिव्या को लेकर मैं अपने बैडरूम में आ गया और उसके बदन को पूरी तरह से नंगा कर दिया। मैं दिव्या के पास जाकर चूचियों को पीने लगा। चूचियों को चूसते चूसते मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। मैं उसकी चूत को ऊपर से ही रगड़ रहा था। पूरी तरह से उसकी चूत गीली और चुडासी हो गयी। उससे रहा नहीं जा रहा था और मैं दूसरी तरफ उसके पुरे बदन पर किश कर रहा था। दिव्या भी सिकसियां लेने लग गय। इतने में ही दिव्या ने कहा ”जो करना है जल्दी करिये आप, मुझे घर भी जाना है वापस”
मैंने तुरंत अपने लंड को उसकी चूत से रगड़ रहा था। कुछ देर बाद मैंने हल्का सा धक्का लगाया। अब तक मेरा आधा लंड चूत में समां चूका था। इतने से ही दिव्या की छीकें निकल रही थी और उससे बिलकुल भी सहन नहीं हो पा रहा था। मैंने फिर एक ज़ोर का धक्का लगाया,,,इस बार तो उसकी समझो जान ही निकल गयी। फिर वो चिलाती रही और मेरा जोश बढ़ता गया। वो मना करती रही लेकिन मैं नहीं रुकने वाला था।
मैंने हातों से दिव्या की दोनों चूचियों को दबोच लिया था और काफी देर उसकी चूत की ठुकाई करता रहा। मेरा लंड अब तक पानी छोड़ने ही वाला था। देखते ही मैंने अपने लंड को दिव्या के मुँह पर रख दिया और सारा पानी उसके मुँह पर छोड़ दिया। दिव्या भी मेरे लंड के रास का मजा ले रही थी। अब दिव्या बाथरूम चली गयी और अपना बदन साफ़ करकर आयी।
बहार निकलकर वो है हसकर गांड हिलाते हुए पूछ रही थी ”चाय पिओगे आप”
मैंने कहा ”ज़रा अपनी चूत का मीठा रस दाल देना”
उसने कमर हिलाते हुए कहा ”आजाओ तुम भी रस निकलकर दाल देना”
फिर तो जो मज़ा किचन में आया वो बिलकुल ज़बरदस्त था। दोस्तों कैसी लगी कहानी,,,,इस बारे में ज़रूर बताना।