हेलो चुडासी दोस्तों, सभी आंटियों, लड़कियों, और प्यासी भाभियों को मेरे खड़े लंड से नमस्कार। दोस्तों मेरा नाम मनीष है, मेरी उम्र २५ साल है और मैं मुंबई का रहने वाला हु। आज की कहानी मेरे और मेरे पड़ोस के दोस्त की माँ के बीच के गहरे सम्बन्ध के बारे में है। यह कहानी करीब आज से ६ महीने पुरानी है। हमारे कॉलोनी में एक क्रिकेट ग्राउंड जिसमे सब मिलकर खेलते है। खेलते खेलते मेरी एक लड़के से पहचान हो गयी। मैं उससे अपने घर भी ले आता था कभी कभी मैच के बाद। वो मुझे अपने घर पर बुलाता था, लेकिन मैं किसी के घर जाना पसंद नहीं करता था। मेरे दोस्त का नाम सलमान था। अब एक दिन मैं उसके घर चले ही गया। उस दिन सलमान का बर्थडे था तो मैं अचानक पहुंचा तो वह खुश हुआ।
लेकिन मेरी ख़ुशी बहुत ही अलग थी उस दिन। मेरी ख़ुशी की वजह थी, सलमान की माँ। सच में यार क्या माल थी। सलमान की माँ का नाम रेशमा है और उनकी उम्र ४४ है। दिखने में बहुत ही सुन्दर और सेक्सी। कोई नहीं कह सकता की इसकी उम्र ४४ है। अब जैसे ही मैं घर पर पहुंचा, सलमान ने मेरे बारे में अपनी अम्मी को बताया। उन्हें सुनकर काफी अच्छा लगा। मेरा तो पूरा ध्यान उस दिन सिर्फ रेशमा पर था।
अचानक रेशमा ने पूछा ”बेटा कैसे हो?”
मैंने कहा ”है आंटी, मैं बिलकुल ठीक हु”
इतने में मैं सलमान और उसकी अम्मी साथ में बैठ गए। मैं बार बार उनको चोरी चोरी देख रहा था। रेशमा थोड़ी देर बाद किचन में चली गयी। थोड़ी देर बाद मैं और सलमान रूम में जाकर वीडियो गेम खेलने लगे। मेरा मन तो नहीं लग रहा था क्यूंकि मैं तो रेशमा की खूबसूरती में खो चूका था। थोड़ी देर में मैं अपने घर चला गया और रेशमा के नाम से मुठ मारने लग गया। रेशमा की चक्कर में अब मैं रोज़ घर पर जाने लगा। अब मैं रेशमा के आस पास रहने का मौका ढूंढता था। मैं उन्हें घूरता भी रहता था। मैं हमेशा बस उनके पास रहना चाहता था। कभी कभी मैं उनके छूने की भी कोशिश करता था। अब एक दिन मैं हमेशा की तरह सलमान के घर पहुंचा और साथ में उसके रूम में चले गया। जैसे ही हम खेलने बैठे, वैसे ही सलमान को फ़ोन आया। यह फ़ोन सलमान की गर्लफ्रेंड का था और वो काफी लम्बे देर तक उससे बात कर रहा था। सलमान ने कहा ”तू रुक, मैं थोड़ी देर में आता हु”
मैंने कहा ”चल ठीक है,,जल्दी आना”
अब सलमान तो चला गया और मैं वही रुका रह गया। अब मैं सलमान का लैपटॉप लेकर देखने लगा। देखते देखते, उसमे काफी ब्लू फिल्म्स भरी हुई थी। अब मैं मस्त साड़ी ब्लू फिल्म्स देखने लग गया। मेरा लंड मस्त खड़ा हुआ था जो बिलकुल साफ़ नज़र आ रहा था। मैं थोड़ी देर बाद रेशमा को देखने गया। वो किचन में काम कर रही थी। आज तो वो एकदम गज़ब लग रही थी। मस्त कुर्ती पहन राखी थी जिसमे चूचियां काफी बड़ी बड़ी नज़र आ रही थी। अब मेरा लंड बिलकुल खड़ा हुआ था और शायद उनकी भी नज़र पद गयी थी। मैं उन्हें बस देखा ही जा रहा था। इतने में रेशमा ने कहा ”जिस तरह से तुम मुझे घूरते रहते हो, यह अच्छी बात नहीं है”
मैंने बिना किसी डर से कहा ”क्या करे आपकी खूबसूरती ही ऐसी है, जो किसीको भी बेहोस करदे। कितनी भी कोशिश करलु, लेकिन आपको देखने बिना चैन नहीं मिलता।
रेशमा ने थोड़े गुस्से में कहा ”पता है यह उम्र में यह सब होता है, लेकिन अपने आप कंट्रोल करो, यह सब बिलकुल गलत है”
यह सुनते ही मेरा खड़ा लंड उदास हो गया। फिर मैं हॉल में जाकर बैठ गया। इतने में ही रेशमा चाय लेकर आ गयी और मेरे सामने रख दी। मैं एकदम शान्ति से चाय पी रहा था और थोड़ा उदास भी। मेरी नज़र उस वक़्त बिलकुल उसके ऊपर नहीं गयी। लेकिन रेशमा मुझे देखे जा रही थी।
अचानक रेशमा ने पूछा ”तुम्हारी गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?”
मैंने कहा ”क्या करे,, आप जैसी सुन्दर नहीं मिली न अब तक”
हस्ते हुए रेशमा ने कहा ”चल झूठे, कुछ भी कहता है”
मैंने कहा ”मैं सच कह रहा हु, तुम बहुत सुन्दर हो, काश मैं आपका पति होता”
मैंने हस्ते हस्ते हुए कह तो दिया, लेकिन अब मुझे थोड़ा डर भी लग रहा था। रेशमा मुझे घर रही थी और मैं उससे। मैं सोच रहा था अब क्या।
अब इतने में रेशमा ने कहा ”सच में क्या मैं इतनी सुन्दर हु”
मैंने कहा ”हां दिल से”
उन्होंने उदास होकर कहा ”एक तुम हो जिससे मैं खूबसूरत लगती हो, एक मेरा मर्द जिससे कुछ नहीं पड़ी”
मैंने कहा ”वो कहा है, कभी देखा नहीं उन्हें?”
रेशमा ने कहा ”बैंक में मैनेजर है, अक्सर घर से बहार या घर पर लेट आते है। लगता है उन्हें अब मेरे अंदर कोई इंटरेस्ट नहीं”
मैंने कहा ”मैं तुम्हे बहुत पसंद करता हु। तुम्हे ज़िन्दगी भर की ख़ुशी दूंगा”
कहने के बाद मैं उनके करीब गया और उनके पास बैठ गया। मैंने उनकी जांग पर हाथ रख लिया। वो तुरंत उठ गयी और मुझे खुद से दूर कर लिया। उन्होंने गुस्से में कहा ”यह सब गलत है, मुझे नहीं चाहिए कोई प्यार, तुम मेरे बेटे के दोस्त हो ”
मैं उनके पास गया और कहा ”रेशमा मैं तुजसे बहुत मोहब्बत करता हु” यह कहने के तुरंत बाद मैंने उन्हें अपनी बाहों में जकड लिय। वो अपने आप को दूर करने के बहुत कोशिश कर रही थी, लेकिन नहीं कर पायी। कुछ देर बाद वो खुद ही ढीली पद गयी। वो ज़ोर ज़ोर से रोने लगी, मैंने तुरंत उनके आंसू को पी गया और उनके होटों पर किश कर दिया। मैंने उन्हें उठाया और बैडरूम में ले गया और उनकी चूचियों को दबाने लगा। उनकी चूचियां इतनी बड़ी है की मेरे हाथ में नहीं आ पा रही थी। वो भी हलकी हलकी सिसकियाँ लेने लगी। मैंने उनकी सलवार और सूट दोनों को उतार दिया और साथ में अपनी शर्ट भी उतार दी। उन्होंने अपने हातो से मेरे लंड को अपने हातो में लिया। उन्होंने बिना देरी के मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया। चूसते हुए उन्होंने कहा ”पिछले एक साल से लंड मुँह में नहीं लिया ”
मैंने कहा ”अब अच्छे से लंड का स्वाद ले लेना”
काफी लंड की चुसाई के बाद उन्होंने कहा ”चलो जल्दी मेरी चुत मारो, बहुत दिन से किसीने नहीं मारी”
मैं तुरंत उनके ऊपर लेट गया और अपने लंड को ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगा। अब सही वक़्त आ ही गया था चुदाई का। मैंने एक हल्का सा धक्का लगाया और मेरा लंड सिर्फ आधा ही अंदर घुस पाया था। लेकिन रेशमा की चींखों का ठिकाना नहीं। इस बार तो मैंने फिर एक धक्का दिया, इस बार तो रेशमा की समझो जान ही निकल गयी। मैंने लगातार काफी धक्के दिए और रेशमा की चुत गज़ब की मारी बिना रुके। अब मैंने उनकी गांड दूसरी तरफ से उठा उठाकर मारी। रेशमा को काफी दर्द हो रहा था, आंसू भी निकलने लग गए थे। कुछ देर बाद रेश्मना ने धीरे से कहा ”दर्द हो रहा है ,,अब नहीं कल करना”
मैंने कहा” ठीक है”
मैंने उनके बगल में लेटकर उनके नंगे बदन को सहलाने लगा जिससे उन्हें थोड़ा सुकून मिले। अब तो हर दूसरे दिन रेशमा की चुदाई होती है। अब मैं और रेशमा एक दूसरे से बहुत प्यार करते है और गज़ब की चुदाई भी करते है